शुक्रवार, 4 मार्च 2011

रफी का सिर्फ एक ही पूरक है वह है -रफी


मनुष्य का जन्म दर्द से ही शुरु होता है। माता की प्रसव पीड़ा के साथ ही एक मनुष्य का आगमन इस संसार में होता है। शायद मनुष्य की दर्द पहली अनुभूति है। इसलिए ही कहा जाता है कि कविता से संगीत तक सभी का जन्म दुख या दर्द से ही हुआ है। संगीत में सबसे अहम स्थान है आवाज। सबसे पहले आदमी ने गाना शुरु किया होगा। इसके बाद ही तरह-तरह के वाद्य-यंत्र आए। सिर्फ़ आवाज के साथ यानि बिना वाद्य-यंत्रों के या सिर्फ एक ही वाद्य-यंत्र की सहायता से सबसे ज्यादा गाने गाने वालों में रफी शायद पहला नाम है।



गाना चाहे प्रेम का हो चाहे देश के लिए रफी का सिर्फ एक ही पूरक है वह है -रफी। रफी मतलब एक पूरा संसार। आवाज का एक बहुत ही करुण, अद्भुत और असीम संसार। मैं कुछ गानों का उल्लेख करुंगा जिससे पता चलता है कि रफी की आवाज का मतलब क्या होता है? बात दर्द से शुरु हुई है तो पहले दर्द भरे गीतों को ही लेते हैं।

'ये दुनिया नहीं जागीर किसी की', 'ग़म उठाने के लिए मैं तो जिये जाउँगा', 'खिलौना जानकर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो', 'खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी', 'आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले', 'रहा गर्दिशों में हरदम मेरे इश्क़ का सितारा', 'नसीब में जिसके जो लिखा था', 'भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहां जाएं', 'इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ', 'क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में', मशहूर विदाई गीत ' बाबुल की दुआएँ लेती जा', 'पैसे की पहचान यहां इंसान की कीमत कोई नहीं', 'क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे', 'आया रे खिलौनेवाला खेल खिलौने लेके आया रे', 'अगर बेवफा तुझको पहचान जाते', 'हम तुम से जुदा होके मर जायेंगे रो-रो के', 'कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया', 'मेरी कहानी भूलने वाले', 'टूटे हुए ख्वाबों ने', ' ये जिंदगी के मेले', 'इक दिल के टुकड़े हजार हुए',' चलो रे डोली उठाओ कहार', 'मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया', 'दिल का सूना साज', 'अपनों को जो ठुकराएगा' जैसे गानों को सुनने के बाद जीवन संगीत हो जाता है।

विशेष रूप से प्यासा का गाना 'ये महलों ये तख्तों ताजों की दुनिया' तो प्यासा को सचमुच शानदार फिल्म से दुबारे और शानदार बना देता है। ये सारे गाने लिखने वालों ने भी डूबकर लिखा है।

अब बात अगर देशभक्ति गानों की नहीं करें तो रफी साहब को महसूस करने में एक अजीब अधूरापन लगने लगेगा।

एक बात ध्यान देने लायक है कि भारत में जो भी देशभक्ति गाने प्रसिद्ध हैं उन्हें गाने वाले रफी, महेन्द्र कपूर, मन्ना डे, प्रदीप, हेमंत कुमार, मुकेश और लता मंगेशकर के अलावा और कोई है, यह खयाल ही नहीं आता। अभिनेता की बात करें तो सिर्फ दो चेहरे याद आते हैं- पहला दिलीप कुमार और दूसरा मनोज कुमार उर्फ भारत कुमार।

बात रफी साहब की हो रही है तो उनके गाये देशभक्ति गाने हैं- शहीद(1948) का' वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो', नया दौर(1957) का ये देश है वीर जवानों का' , शहीद(1965) का दो बार गया 'ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी और कसम' और 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है', सिकंदर-ए-आजम(1965) का 'जहां डाल-डाल पर सोने की चिडियां करती हैं बसेरा', देशप्रेमी(1982) का ' मेरे देशप्रेमियों आपस में प्रेम करो देशप्रेमियों' अभी मुझे याद आ रहे हैं।

अब विशेष रूप से ऐ वतन ऐ वतन जो भगतसिंह वाली फिल्म शहीद में गाया गया, उसके बारे में। इस गाने अलग-अलग शब्दों में दो बार फिल्म में गाया गया था। वैसे तो रफी हर गाना ही दिल को चीर कर गाते हैं लेकिन दूसरा गाना तो रफी साहब ने ऐसा गाया है मानो अपना कलेजा निकाल कर ही रख दिया है। इस गाने को सुनकर पत्थर क्या अगर भगवान सचमुच होता तो जरुर पिघल जाता। अगर आप शहीदों की सच्ची आवाज सुनना चाहते हैं तो मैं आपसे आग्रह करता हूं इस गाने को जरुर सुनें, आप समझ सकेंगे कि रफी किस गायक को कहा जाता है। जो कहते हैं कि संगीत मनोरंजन के लिए है उनको ये गाना सुनकर पता चल जायेगा कि संगीत और शहीद कैसे एक दूसरे में विलीन हो गए हैं। इस गाने की लय और रफी साहब की आवाज ही नहीं इसका एक-एक शब्द हमारे वेदों-पुराणों से बहुत ज्यादा महत्व रखता है। ऐसे-ऐसे गायक, गीतकार, संगीतकार हमारे देश में हुए हैं जिन्होंने कुछ पलों को बिल्कुल जिंदा ही कर दिया है। ऐसे लोगों में रफी साहब को भूल ही कौन सकता है।

अब चलते-चलते इस अमर गायक के गाये हुए उसी अमर गाने की वो कड़ियां जो आपको गुनगुनाने के लिए दे रहे हैं जो आपको कहीं-न-कहीं मजबूर कर देंगी……

तू न रोना, कि तू है भगतसिंह की माँ
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
घोड़ी चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी
हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं

इश्क़ आजादी से आशिक़ों ने किया
देख लेना उसे हम ब्याह लायेंगे

ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों मैं जां तक लुटा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन

जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं

लौटकर आ सके ना जहां में तो क्या
याद बन के दिलों में तो आ जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों मैं जां तक लुटा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन

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